The Definitive Guide to sidh kunjika
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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ १३ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
क्लीङ्कारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥ ८ ॥
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
గమనిక: శరన్నవరాత్రుల సందర్భంగా "శ్రీ లలితా స్తోత్రనిధి"
ओं अस्य श्री कुञ्जिका स्तोत्रमन्त्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ओं ऐं बीजं, ओं ह्रीं शक्तिः, ओं क्लीं कीलकम्, मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में मां दुर्गा की नौ देवियां और दस महाविद्या का वर्णन है.
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
And the worry of not getting is born in that House. But in meditation, when this is recognized, the intellect can enter right into a dimension of House where by motion is inaction. We have no idea what enjoy is, for inside the Area made by thought around alone given that the me, appreciate could be the conflict on the me along with the not-me. This conflict, this torture, just isn't like. Considered would be the really denial check here of love, and it simply cannot enter into that Place in which the me is just not. In that Area is definitely the benediction which person seeks and can't discover. He seeks it throughout the frontiers of considered, and believed destroys the ecstasy of the benediction."
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि